फूलन देवी को कई लोग जांबाज महिला के रूप में वह कई लोग उन्हें खूंखार डकैत के रूप में देखा करते हैं।
फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963 (2001 मे उनकी शेर सिंह राणा द्वारा उनके घर में हत्या कर दी गई उनका मानना था कि एटी 1981 की गई स्वर्णों की हत्या का बदला है) मे उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव गोरहा में हुआ था। फूलन देवी एक गरीब परिवार में पली-बढ़ी। उनके पिता एक किसान थे और बहुत मेहनत से जैसे-तैसे उनके परिवार को पालते थे। उनके पास 1 एकड़ जमीन थी जिसमे वो खेती करके अपना गुजारा करते थे। इस एक एकड़ जमीन को लेकर इसके पिता और उसके चाचा की अक्सर लड़ाई हुआ करती थी। उसके जमीन पर उगे नीम के पेड़ को बचाने के लिए उसने अपने परिवार के साथ लड़ाई भी की थी।
11 साल की उम्र में फूलन देवी का उनके पिता ने उनकी की शादी एक बूढ़े व्यक्ति पुट्टी लाल से करा दी। वह शादी के लिए तैयार नहीं थी। और शादी के बाद ही उसे यौन शोषण का शिकार होना पड़ा। उसके बाद वह वापस अपने घर भाग कर आ गई और अपने पिता के साथ मजदूरी में हाथ बताने लगी।
फूलन देवी को कई उतार-चढ़ाव व कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा। 15 साल की उम्र में उसके गांव के कुछ ठाकुरों ने उसके साथ गैंग रेप किया वा पूरे गांव के सामने उसे निर्वस्त्र कर प्रताड़ित किया गया। वह न्याय के लिए इधर-उधर भटकती रही लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिला इस पर उन्होंने बदला लेने का निश्चय किया।
कुछ समय बाद उनके गांव में डकैतों ने हमला किया और कुछ डाकुओं ने फूलन देवी को जबरदस्ती अपने साथ उठा ले गए। वहां उनके साथ लगातार रेप होने लगे। वही उनकी विक्रम मल्लाह नाम के व्यक्ति के साथ मुलाकात हुई। दोनों ने मिलकर डाकुओं का एक अलग गैंग बनाया।
खुद का गैंग बनाने के बाद फूलन ने अपने गैंगरेप का बदला लेने के लिए गांव पर छापा मारा और 1981 में गांव पर घुस गए और 22 स्वर्ण जाति के लोगों को एक लाइन में खड़ा कर गोलियों से छलनी कर दिया। इस घटना के बाद वह देश की नामी डकैत बन गई। सरकार ने उसके सिर पर इनाम रख दिया। उत्तर प्रदेश सतना मध्य प्रदेश की पुलिस उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे लग गई
वर्ष 1983 में फूलन ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अपील पर पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। उस वक्त उसका साथी विक्रम मल्लाह भी मारा जा चुका था और दूसरी गैंग्स के मुकाबले उसका दबदबा कमजोर हो गया था। सरेंडर करते वक्त फूलन देवी ने सरकार के सामने शर्ते रखी चीन सरकार ने मान लिया।
इनकी पहली शर्त यह थी कि उसे यह उसके साथ मे किसी को मृत्युदंड नहीं मिलेगा। साथ ही उसके या उसके किसी भी साथी को 8 वर्ष से अधिक की कैदी नहीं दी जाएगी। फूलन को 11 वर्ष तक बिना मुकदमे के जेल में रहना पड़ा।
1984 मे समाजवादी पार्टी कि सरकार ने उसे जेल से रिहा किया रिया होने के बाद उसे समाजवादी पार्टी में चुनाव लड़ने को कहा गया। फूलन देवी ने चुनाव लड़ा और जीत गई और मिर्जापुर सीट से जीतकर सांसद बनी और संसद पहुंच कर सांसद के रूप में फूलों ने अपने क्षेत्र में पहचान भी बनाएं हालांकि एक पूर्व डकैत के संसद चुनाव जाने चुने जाने पर भी कई लोगों ने सवाल उठाया।
जेल से रिहा होने के बाद फूलन ने उमेद सिंह से विवाह कर लिया उमेद सिंह ने वर्ष 2004 और 2009 में कांग्रेस तथा 2014 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। बाद में फूलन की बहन मुन्नी देवी ने उम्मीद पर फूलन की हत्या में शामिल होने का भी आरोप लगाया था।
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