जयंत जिज्ञासु का जन्मदिन है जानिए कौन है जयंत जिज्ञासु? जिनके लेख को पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव जो शेयर करते है।
Bihar:- जयंत का पूरा नाम जयंत यादव जो कि आगे चलकर उनका नाम उनके शिक्षक ने यादव के जगह जिज्ञासु कहने लगे तबसे उनके मम्मी और पापा ने भी अपने बेटे जयंत को जयंत जिज्ञासु कहने लगे,तब जाकर जयंत ने अपना उपनाम चेंज कर दिए और यादव के जगह जिज्ञासु लिखने लगे बिहार के खगड़िया के एक छोटे से गाँव से आते है,उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा गांव के ही स्कूलो से प्राप्त की बाद में आगे चलकर उन्होंने गांव से निकलकर,दिल्ली विश्वविद्यालय से होते हुए, IIMC (Indian Institute of Mass Communication) और उसके बाद से देश के सबसे टॉप शिक्षण संस्थान जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU ) से अभी P.hd की पढ़ाई कर रहे है, उन्होंने JNUSUElection में CRJD (छात्र राष्ट्रीय जनता दल) के तरफ से Presidential Candidate भी रह चुके है! उन्होंने अपने चुनाव के समय में समाजवादी विचारधारा को स्थापित किया।
जयंत जिज्ञासु का परिवार।
जयंत जिज्ञासु के पिता गणित के व्याख्यात थे,वे लालू यादव जी के काफी करीबी माने जाते थे,लालू यादव के सभी रैलियों में गाँव-गाँव तक पर्ची बटवाने तथा मंच पर स्वागत करने तक उन्होंने काम किया, हर स्तर तक लालू यादव का साथ दिया था जिसको देखते देखते घर में राजनितिक परिवेश से जयंत की रूचि भी राजनीती में उसी समय हो गई थी।
जयंत जिज्ञासु अपने ब्लॉग “सांप्रदायिकता से जूझने वाले सामाजिक न्याय के योद्धा और गरीबो के मसीहा लालु प्रसाद यादव” में लिखा है की लालू यादव जी का मुख्यमंत्री बनने के बाद 90 में अलौली में लालू जी का पहला कार्यक्रम था मिश्री सदा कालिज में और उसी कॉलेज में उनके पिता गणित के व्याख्यात थे ,उस मंच से लालू जी ने कर्पूरी जी को याद करते हुए लालू जी ने कहा, "जब कर्पूरी जी आरक्षण की बात करते थे, तो लोग उन्हें मां-बहन-बेटी की गाली देते थे। और, जब मैं रेज़रवेशन की बात करता हूं, तो लोग गाली देने के पहले अगल-बगल देख लेते हैं कि कहीं कोई पिछड़ा-दलित-आदिवासी सुन तो नहीं रहा है। ज़ादे भचर-भचर किये तो कुटैबो करेंगे। ये बदलाव इसलिए संभव हुआ कि कर्पूरी जी ने जो ताक़त हमको दी, उस पर आप सबने भरोसा किया है।"
उन्होंने अपने लेख
में चारा घोटाले का जिक्र करते हुए लिखा है की ,उसी चारा घोटाले में फसने पर जगन्नाथ मिश्रा
जगन्नाथ बाबू बने रहते हैं, पर लालू प्रसाद ललुआ हो जाते हैं। लालू प्रसाद से
ललुआ तक की फिसलन भरी यात्रा में लालू प्रसाद की सारथी रही मीडिया का मनोवैज्ञानिक
विश्लेषण तो करना पड़ेगा न...
एक बार श्री चंद्रशेखर ने सदन में कहा था, जो आज सत्ता पक्ष के लोगों को भूलना नहीं चाहिए, "एक बात हम याद रखें कि हम इतिहास के आख़िरी आदमी नहीं हैं। हम असफल हो जायेंगे, यह देश असफल नहीं हो सकता। देश ज़िंदा रहेगा, इस देश को दुनिया की कोई ताक़त तबाह नहीं कर सकती। ये असीम शक्ति जनता की, हमारी शक्ति है, और उस शक्ति को हम जगा सकें, तो ये सदन अपने कर्त्तव्य का पालन करेगा।"
यैसे-यैसे उन्होंने बहुतेरे लेख लिखे है जो कि आये दिन, theprint,
ndtvindia,wireindia,Hindustan जैसे अखबारों में
उनकी लेख छपती रहती है, उन्होंने हाल में “लालू यादव की अनकही दास्ताना” नामक किताब लिखी है, जो की काफी चर्चा में है और लोग उस
किताब को काफिर पसंद से पढ़ते है और पढ़ने के बाद से अपने सोशल मीडिया पर तस्बीरे
साझा करते है।
यही करण है की लालू यादव जैसे
मुख्यमंत्री जयंत जिज्ञासु की लिखी हुई लेख
और सोशल मीडिया पर उनके पोस्ट को शेयर करते है! उसी को देखते हुए बिहार विधानसभा 2020 के विधानसभा चुनाव में स्टारप्रचारक के सूचि में जयंत का नाम शामिल था, हालाँकि लालू यादव की पार्टी सरकार नही
बना पाई, लेकिन बिहार के युवा अपना
मुख्यमंत्री सोशल मीडिया पर तेजश्वी यादव को ही लिखते है।
जिज्ञासु को राष्ट्रीय जनता दल ने एक बहुत बड़ी और जिम्मेदारिया दी है उनको State Executive Member, राजद के तरफ से बनाया गया है जो की जयंती के लिए यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।
आगे जयंत क्या कुछ कर सकेंगे अपने लिए, और राजद के लिए आगे देखने वाली बात होगी।
जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएँ। ख़ूब लिखते-पढ़ते रहिए, ख़ुश और स्वस्थ रहिए।
The Wire India
PN
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